सृजन ऒर काव्या
शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012
बस प्यार का समंदर
न कामना के मंजर
न वासना के खंजर
तेरी आँख में मैं देखूँ
बस प्यार का समंदर
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें